शिकागो / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / कार्ल सैण्डबर्ग
दुनिया के लिए सूअर माँस विक्रेता,
औजार निर्माता, गेहूँ का कोठारी,
रेल मार्ग का संचालक, राष्ट्र के मालभाड़े का प्रबन्धक,
तेज़, भारी, उपद्रवी,
विशाल कन्धों वाला शहर :
वे कहते हैं मुझे कि तुम दुष्ट हो
और मैं उन पर करता हूँ विश्वास
कि मैंने गैस लैंपों के नीचे तुम्हारी कामुक स्त्रियों को देखा है
खेतिहर लड़कों को फुसलाते।
और वे कहते हैं मुझे कि तुम कुटिल हो
और मैं कहता हूँ : हाँ, यह सच है
कि मैंने देखा है गनमैन को हत्या करते
और उसे स्वतन्त्र घूमते फिर से हत्या के लिए।
और वे कहते हैं मुझे
कि तुम निष्ठुर हो और मेरा जवाब है : मैंने देखे हैं
स्त्रियों और बच्चों के चेहरों पर प्रचण्ड भूख के निशान।
और ऐसा जवाब देते हुए मैं
एक बार फिर उनकी तरह देखता हूँ
जो करते हैं मेरे शहर का उपहास,
और बदले में करता हूँ मैं भी उनका उपहास :
आओ और दिखाओ मुझे
कोई दूसरा शहर जो अपने तने हुए सिर के साथ
गाता हो अपने जीवन्त और सख़्त
और शक्तिशाली और चतुर होने का गौरव।
ढेरों काम के लिए
कठिन परिश्रम के बीच
खिंचे चले आते हैं अभिशाप,
फिर भी खड़ा है जीवन्त यहाँ
एक बड़ा साहसी प्रहारक
छोटे शिथिल शहरों के समक्ष;
उस कुत्ते की तरह भयानक
जिसकी जीभ लपलपाती कुछ कर जाने को,
जंगली जानवर की तरह चालाक वह तैयार संघर्ष के लिए,
खुले सिर,
फावड़ा चलाते,
ध्वस्त करते,
योजना बनाते,
निर्माण करते, तोड़ते, फिर से बनाते,
चारों ओर धुआँ,
उसका मुँह पूरा धूल सना,
दिखते सफ़ेद दाँत जब वह हँसता,
नियति के भीषण बोझ तले हँसता
मानो हँसता कोई युवा आदमी,
हँसता उस तरह भी मानो हँसता
कोई अनभिज्ञ योद्धा जो न हारा किसी युद्ध में,
गर्व करता और हँसता कि उसकी कलाई में है जान
और उसके सीने में लोगों का हृदय, हँसता वह!
खुले बदन, पसीने से तर किसी नौजवान की
तेज़, भारी, उपद्रवी हँसी हँसता,
गर्व करता अपने हो जाने का
सूअर माँस विक्रेता, औजार निर्माता, गेहूँ का कोठारी,
रेल मार्ग का संचालक और राष्ट्र के मालभाड़े का प्रबंधक।
- शिकागो शहर की स्थापना वर्ष 1833 में हुई थी। कार्ल सैण्डबर्ग ने वर्ष 1914 में जब यह कविता लिखी तब इस शहर को बने सत्तर वर्ष हुए थे। दुनिया के बड़े शहरों जैसे लन्दन, पेरिस, तोक्यो आदि की तुलना में शिकागो काफ़ी युवा और नया है। इसीलिए सैण्डबर्ग ने शिकागो का वर्णन एक युवक के रूप में किया है।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा 'एतेश'