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पहचान / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़
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कर्कश ध्वनि एक पक्षी की आँगन में
कोई सिक्का मानो पिगी बैंक में।
अपने हवादार पंख फैलाती
और अचानक गायब हो जाती।
स्यात् न कोई पक्षी, न आदमी वहाँ
हूँ मैं जिस आँगन में जहाँ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’