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दोस्ती / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़

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मेज़ पर
प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा
अन्तहीन

लैम्प की महीन रोशनी में
रात
खिड़की को बना देती विशाल

कोई नहीं यहाँ
एक गुमनाम उपस्थिति ने
घेरा
चारों ओर से मुझे

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’