भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहचान / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:30, 23 नवम्बर 2016 का अवतरण
कर्कश ध्वनि एक पक्षी की आँगन में
कोई सिक्का मानो पिगी बैंक में।
अपने हवादार पंख फैलाती
और अचानक गायब हो जाती।
स्यात् न कोई पक्षी, न आदमी वहाँ
हूँ मैं जिस आँगन में जहाँ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’