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थकान / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / लैंग्स्टन ह्यूज़
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मैं प्रतीक्षा करते-करते
थक गया हूँ,
क्या तुम नहीं थके?
मैं प्रतीक्षा करते-करते
थक गया हूँ,
कि दुनिया हो जाए अच्छी
और सुन्दर और दयालु?
आओ, एक चाकू लें
और करें दुनिया के दो टुकड़े —
और देखें
कि इसकी खाल को
खा रहे हैं कौन से कीड़े।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’