भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तितलियाँ / हेमन्त दिवटे
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:55, 5 दिसम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त दिवटे |अनुवादक=सरबजीत गर्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कॉम्प्लेक्स के
गार्डन में घूमते हुए
मैंने सहज ही मित्र से कहा —
अरे, गहरे पीले रंग की छोटी तितलियाँ
नज़र ही आती नहीं आजकल
तो वह
सरलता से बोला
बहुत ही सरलता से बोला —
वो ब्राण्ड अब बन्द हो चुका है।
मूल मराठी से अनुवाद : सरबजीत गर्चा