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बारिश का दिन / मोहन राणा

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बारिश का दिन

आख चुपड़े है आकाश अपने चेहरे पर

तर हुई खड़ी है क्रेन बन्दरगाह में

लगातार बारिश में

बारिश का दिन


कठिन निकलना घर से बाहर

जैसे अचेत हो चुकी हैं इच्छाएँ

जैसे नियन्त्रण खो चुकी चरखी तागे पर

जो खुलता चला जाता है अंतहीन समय में किसी पतंग से बंधा

दूर से देखता सोचता हूँ

कठिन है धूप का निकलना अब

बात से बात निकली तो

दाने-दाने पे खाने वाले का नाम

आज के दिन बारिश के नाम,

कपड़े धोने का दिन आज


27.11.1992