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महादेवन / सरबजीत गरचा / वर्जेश सोलंकी

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महादेवन
ऑफ़िस की दो मंजिलें चढ़कर आता
तो भी हाँफने लगता
बॉस के सामने थर्राता
और हमारे बीच मण्डराते हुए
बिगड़ता रहता
टेबल पर पेपरवेट की तरह

महादेवन
दुनिया इधर की उधर हो जाए
साढ़े नौ बजे मौजूद हो जाता
ऑफ़िस के काम में टेंशन क्रिएट होने पर
निकाल लेता जेब में रखा अय्यप्पा

महादेवन
तीस का है कहा जाने पर भी
देखने वाले को वह बात झूठ लगती
इतना वह उम्र में आगे सरक चुका था।
अन्दर धँसे हुए गाल
पीछे से पड़ता आने वाला गंज
कमीज़ उतारने पर
लग जाता हड्डियों का हिसाब
यह था हाल
चेहरा
दस जगह जैसे पैबन्द लगे हों।

महादेवन
सान्ताक्रूज की किसी परचून चाल में
मौसी के यहाँ महीना दो हज़ार देकर रहता था
माँ मर चुकी थी। बाप शराबख़ोर।
ज़रा भी पैदावार न देने वाली पड़ी हुई ज़मीन
पीछे दो बहनें ब्याहने वालीं
ऐसा था टेरिफ़िक फ़ैमिली बैकग्राउण्ड
पिस्सू जैसा

महादेवन
मैटिनी पर लगी गरम फ़िल्मों के बारे में बतियाता
कभी नहीं मिला या
ताव में आज की गाँडू राजनीति की समीक्षा करता
वह कभी नहीं दिखा या
पैदल चलकर ऑटोरिक्शा का वाउचर पास करने के
फन्दे में कभी नहीं पड़ा
इतना वह सोबर था।
पान बीड़ी तम्बाकू सिगरेट दारू लड़की
इत्यादि व्यसनों से चार हाथ दूर रहने वाला महादेवन
नींद में ही चला गया

यह पता चलते ही
धम्म से मेरे सामने आ गईं
सफ़ेद-चिट्टी इडली जैसी उसकी आंखें
खुन्नस-रहित

इसके आगे का महादेवन देखना
मुझे पक्के तौर पर भारी पडऩे वाला था।

मूल मराठी से अनुवाद : सरबजीत गर्चा