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अम्मा / रामकिशोर दाहिया

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मुर्गा बाँग न
देने पाता
उठ जाती
अँधियारे अम्मा
छेड़ रही
चकिया पर भैरव
राग बड़े भिनसारे अम्मा

सानी-चाट
चरोहन चटकर
गइया भरे
दूध से दोहनी
लिये गिलसिया
खड़ी द्वार पर
टिकी भीत से हँसी मोहनी

शील, दया,
ममता, सनेह के
बाँट रही उजियारे अम्मा

चौका बर्तन
करके रीती
परछी पर
आ धूप खड़ी है
घर से नदिया
चली नहाने
चूल्हे ऊपर दाल चढ़ी है

आँगन के
तुलसी चौरे पर
आँचल रोज पसारे अम्मा

पानी सिर पर
हाथ कलेबा
लिये पहुँचती
खेत हरौरे
उचके हल को
लत्ती देने
ढेले आँख देखते दौरे

जमुला-कजरा
धौरा-लखिया
बैलों को पुचकारे अम्मा

घिरने पाता
नहीं अंधेरा
बत्ती दिया
जलाकर धरती
भूसा-चारा
पानी-रोटी
देर-अबेर रात तक करती

मावस-पूनों
ढिंगियाने को
द्वार-भीत-घर झारे अम्मा

०००