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क्षत-विक्षत / शैलेन्द्र चौहान
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Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:22, 7 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलेन्द्र चौहान }} स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की बनी स्ट...)
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया
की बनी स्टील की
भारी चादरें
टिस्को की बनी
और
आयातित चादरें
- प्रौद्योगिकी, भवन निर्माण,
- आधुनिक तकनीक
- संतुष्ट हैं बहुत
- विज्ञन की प्रगति से
- मध्यवर्गीय जन
- रोज़गार की है गारन्टी
- समझौतापरस्त
- अवसरवादियों को
- कारख़ाने के श्रमिकों को,
- यूनियन के दम पर
- हैं सुविधाएँ
- आनंदित हैं चतुर बुद्धिजीवी
- राजनीति, विज्ञान और
- कला के व्यवसाय से
- समाज का ढाँचा खड़ा हो गया है
- आर सी सी फाउंडेशन पर
- अनेक परीक्षणों के बाद
आश्वस्त हैं आधुनिक जन
अपने सुरक्षित भविष्य
और सुविधाजनक
वर्तमान के प्रति
- कोई अचंभा नहीं
- बरसात और तूफान में
- गिरते कच्चे मकानों से
- आश्चर्यजनक नहीं
- झुग्गी-झोपड़ियों का
- स्वाहा हो जाना गर्मियों में
- है बहुत सामान्य
- सर्दियों में मर जाना
- फूटने से नकसीर
- वस्त्रहीन मनुष्यों का
है सहज क्रंदन
अव्यवहारिक, सरल,
संवेदनशील मनुष्यों का
- शरीर के अनावश्यक
- अवयवों का
- नहीं होता कोई महत्व
- नष्ट भी हो जाएँ
- यदि वे
सुंदर नहीं दिखेगा
क्षत-विक्षत यह शरीर
जो हो चुके हैं
विकृतियों को
सुंदर कहने के आदी
उनके लिए बेजायका है
शरीर का संपुष्ट
सुगठित और सुंदर होना