विकास के नए उपकरणों को
आदमी इस पृथ्वी पर
जब-जब सजाता है
और अपनी
उपलब्धियों का उत्सव
जब पूरे विश्व में मनाता है
स्वयं आदमी के लिए ही
क्यों इस पृथ्वी का
आकाश सिकुड़ जाता है...
विकास के नए उपकरणों को
आदमी इस पृथ्वी पर
जब-जब सजाता है
और अपनी
उपलब्धियों का उत्सव
जब पूरे विश्व में मनाता है
स्वयं आदमी के लिए ही
क्यों इस पृथ्वी का
आकाश सिकुड़ जाता है...