भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं ढूंढता रहा / योगेंद्र कृष्णा
Kavita Kosh से
योगेंद्र कृष्णा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:03, 30 जनवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा |संग्रह=कविता के...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैं ढूंढता रहा उसे बाहर
आसमान की ऊंचाइयों में
पहाड़ की चोटियों
जंगलों के बियाबान में
दूर…बहुत दूर…
धीरे-धीरे ओझल होते
दृश्यों-अदृश्यों में…
थक-हार आखिर जब
अपने भीतर झांका…
वो बैठा मिला निर्विकार
मेरे ही भीतर
मेरे ही इंतज़ार में…