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बेटी-2 / सुप्रिया सिंह 'वीणा'

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तोंय सबसे सुंदर लागै छोॅ,
तोंय सबसे प्यारोॅ लागै छोॅ,
कली तोंय हमरोॅ बगिया रोॅ,
उषा रोॅ लाली लागै छै।
तोंय बेटी कली-फूल बेली के
सुगंध जूही आरोॅ चमेली के
तोंय बेटी गंगा रोॅ धारा,
माय रोॅ छेकोॅ तोंही सहारा।
जें बेटी भक्ति करै छै,
तेॅ ऊ मीरा बनी जाय छै।
तोंय बेटी शक्ति स्वरूपा छोॅ
तोंही दुर्गा रुप अनूपा छोॅ।
जौं बेटी प्रेमों के पावन धारा,
तेॅ ऊ राधा बनी जाए छै,
जौं बेटी ममता रोॅ मूरत,
तेॅ ऊ मरियम बनी जाय छै
माय के बेटी तेॅ आन छेकैॅ,
बापों लेॅ बेटी तेॅ शान छेकै,
भाय के जान छेकै बेटी
सबके अरमान छेकै बेटी।
धरती के श्रृंगार छेकै बेटी
पायल रोॅ झंकार छेकै बेटी
नया संसार बसावै छै
सृष्टि के भार उठावै छै।
सुखद संसार छै बेटी सें ,
स्नेह, ममता के डोरी से
जगत के ताप मिटावोॅ छै
नया-नया इतिहास बनाबोॅ छै ।