भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नेता / सुप्रिया सिंह 'वीणा'
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:29, 4 मार्च 2017 का अवतरण
तीरोॅ पर तीर चलावै छै, नेता संसद में गुर्रावै छै।
देशोॅ के छाती मूँग दलै, आजादी जश्न मनावै छै।
जनता के निवाला छीनै, जानवर के चारा चिबावै छै।
राम राज केॅ ताखा राखी, पार्टी के बिगुल बजावै छै।
तोड़ी मरजादा कानून के जनता केॅ नीति सिखावै छै।
छुछ्छे भाषण दै केॅ रोजे जन-जन केॅ भरमावै छै।
तिरंगा तेॅ ग्लानि में कांपै लाठी ही खाली घुमावै छै।
हे ईश्वर ! कैन्होॅ ई पाखंड देशोॅ में आग लगावै छै।
तीरोॅ पर तीर चलावे छै, नेता संसद में गुर्रावै छै।
देशोॅ के छाती मूँग दलै, आजादी जश्न मनावै छै।