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बलिहार भारत / सुप्रिया सिंह 'वीणा'

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तोरोॅ अद्भुत दिव्य रूप पर बलिहार भारत माय,
हो बलिहार भारत माय।
शांति प्रेम स्नेह भाईचारा के संस्कार भारत माय,
हो संस्कार भारत माय।
ईष्र्या मोह बंधन कटी, वेद के ज्ञान गूढ छै बानी,
तुलसी-सूर कबीर सुर सरिता बहै धार भारत माय,
हो बहै धार भारत माय।
बद्रीनाथ, केदारनाथ उज्ज्वल, द्वारका जगरनाथ छै निर्मल,
काशी भव सागर सें दै उबार भारत माय।
हो उबार भारत माय।
गंगा धारा दिव्य सुहानी, संत कथा मन के लोभानी,
घर-घर में राम कृष्ण के होय छै जहाँ अवतार भारत माय,
हो अवतार भारत माय।
हृदय शोभे मन्द्राचल अविनाशी, नर बनै नारायण सुखवासी,
अंगिका भाषा ज्ञान के दिव्य ज्योति आधार भारत माय,
हो आधार भारत माय।
हमरा सिनी धन्य जे भारत में जनम लेलियै,
‘गीता’ ‘रामायण’, बुद्ध सार अपनैलियै,
जें सबके जीवन केॅ करलेॅ छै उजियार भारत माय,
हो उजियार भारत माय।
त्याग तपस्या के तप भूमि, नमन धूल तोरा चरणोॅ के,
जग में रहै तिरंगा अमर देशोॅ के भाल भारत माय,
देशोॅ के भाल भारत माय।
हो बलिहार भारत माय,......बलिहार भारत माय