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बथान बिर्सी / एस्पी कोइराला

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बथान बिर्सी एक्लै भो चरी बिरानो गाउँमा
रोएरै गीत गाउँछु आज हजुरको नाउँमा

मधुरो बत्ती अधुरो यात्रा सपना मानुँ कि?
आँखा नि हेर्छु सास नि फेर्छु विपना ठानुँ कि?
झरीले चुट्यो हुरीले कुट्यो एकान्त गाउँमा
रगतले लेखें आँसको चिठ्ठी हजुरको नाउँमा

निद्रा न थकाइ भोक न सुर्ता खलखली पसिना
यहीं लेकबेंसी यो छातीभरि झल्झली सम्झना
कहाँ छु कहाँ मनमात्र यहाँ सुनसान रातमा
औंठी थ्यो चिनो कसरी पुर्याउँ हजुरकै हातमा