भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्वर्गकी रानी / रत्न शमशेर थापा
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:40, 6 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रत्न शमशेर थापा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
स्वर्गकी रानी मायाकी खानी, नजाऊ तर्केर
लाजै नमानी रिसाउने बानी, छाडी आउ फर्केर
रेशमी घुम्टो हाली हो हाली, ओंठमा हल्का लाली
प्रीतिका दीप बाली, हो.. बदामी आँखा काली
रात जुनेली बेली चमेली, बसेका पर्खेर, हो..हो..
लाजै नमानी….
गोरा गुलाबी गाला हो गाला, इन्द्रेणीको माला
नागबेली चाला हो… जवानी ओइली जाला
पूर्णेको इन्दु शीतका बिन्दु, दिलले सम्झेर, हो..हो…
लाजै नमानी…
स्वर्गकी रानी…