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इस्लाह / गिरधर राठी

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हमें भी एक दिन

एक दिन हमें भी

देना होगा जवाब


इसलिए

लिखें अगर डायरी

सही-सही लिखें

और अगर याचिका लिखनी है

लिखें समझ-बूझ कर


लेकिन अगर चैन न हो हमारा आराध्य

और हम रह सकें बिना अनुताप के

तब न करें स्याह ये

धौले-उजले पन्ने!