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गळगचिया (42) / कन्हैया लाल सेठिया

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काँटे री नोक पराँ टिक्योड़ी नान्ही सी'क ओस री बूंद तो मैण री हुवै ज्यूं जम'र ही बैठगी पण भौम री सुख सेज्याँ पर पोढ़योड़ो समदरियो तो रात'र दिन कसमसतो ही रवै।