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गळगचिया (47) / कन्हैया लाल सेठिया

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तूंतड़ा बोल्या-देख्यो रै छायला थारो न्याय ? म्हाँने तो फटक'र परै बगा दिया र आं सागो छोडणियाँ दगाबाज दाणाँ नै काळजियै री कौर कर'र राख्या है ?
छायलो कयो-डोफाँ थाँ नै तो हूँ बेकसूर मान'र ही छोडया है,आँ (बिसवासघात्याँ) ताँई तो चाकी'र ऊँखली त्यार है।