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गळगचिया (58) / कन्हैया लाल सेठिया

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मिनख आप री जरूरत स्यूँ घणै सँच्चोड़ै धन नै लुको‘र राखणै ताँई ताळा री जबान बन्द करी, कूँच्याँ रा कान खैच्यां, पण बो आ बात कोनी सोची‘क बन्द जबान रा ताळा घणाँ लबाळ हुवै है‘र कान खैंच‘र कड़तू रै बाँध्योड़ी कूँच्या कानाँ बाती करयाँ बिन्याँ कोनी रवै।