Last modified on 30 मार्च 2017, at 21:35

करला नी बेहाल / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:35, 30 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध प्रसाद विमल |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 एक बार हमरा देखी केॅ , करला नी बेहाल,
आवेॅ की तोहें पूछेॅ छोॅ , हमरोॅ जी के हाल।
देखी केॅ हमरोॅ हालत केॅ तोहें तेॅ नै मुस्काबोॅ
हमरोॅ हाल खराब करी केॅ , तोहें तेॅ नै इठलाबोॅ ,

हम्में जानलां तोरोॅ हेनोॅ कोय पत्थर नै दुनियां में,
आवेॅ नै बहलै वाला छी, लाख तोहें जी बहलाबोॅ
नै पतियैभौं तोहरा पर, तोहें लाख बजावोॅ गाल।
एक बार हमरा देखी केॅ, करला नी बेहाल,

धीरज खोय केॅ बही नै जाय, हमरोॅ ई आंखी के लोर
आपस में मिलिये केॅ रहतै, नद्दी के ई दूनोॅ छोर।
कोय नै तोरा नांकी होतै, शायद ई संसारोॅ में,
रात-दिन बस दुक्खै में बीतै, छलकै छै आंखी के कोर।
भौंरा के भीर बनै छै तोरोॅ , कम्मर तांय जे बलखावै बाल।
एक बार हमरा देखी केॅ , करला नी बेहाल,

हमरा सपना के तोंय छेका, सच्चे सुन्नर रानी,
दुनिया के ठोरोॅ पर रहतै, हमरोॅ प्रेम कहानी।
केना कहियौं तोरा, आवे तेॅ आँख मिलाबोॅ
मधु-मधु रस घोलोॅ प्रिये, करोॅ बात मनमानी
बिना गीत के बाजेॅ लागलै, छंद-बंध सुर ताल।
एक बार हमरा देखी केॅ, करला नी बेहाल,