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दुर्दिनों में कविता-3 / उदय प्रकाश

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हाथ जोड़े हुए दूर से मुस्कराते हैं आप

हृदय में उठती है आंधी कहने के लिए

नमस्कार... नमस्कार...


किसी अदृश्य की तरह देखते हुए आपको

आपके बग़ल से गुज़र जाता है

राजधानियों के संवेदनशील कवियों का गिरोह

किसी कविता की कतिपय करुण पंक्ति पर

मगन मन मूंड हिलाता