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ज़ुर्म / अरुण कमल

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जब मेरा शरीर अस्सी घावों से पटा था

और मैं बहुत मुश्किल से

पाँव टेकता

खड़ा हो पाया था लाशों के बीच

दोस्तों के चेहरे पहचानता


वे आए

लाशों को लांघते

इत्र लगाए

सफ़ेद रुमाल से नाक दाबे

और कहा-- तुम्हारी वर्दी का एक बटन

टूटा है


हाँ

मैंने माना

बहुत बड़ी चूक है यह

बहुत बड़ा जुर्म

लेकिन श्रीमान अभी मुझे पानी चाहिए

कंठ भिगोने को थोड़ा-सा पानी।