भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमें जानने वाले / हेमन्त शेष
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:42, 28 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त शेष |संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष }} हमें जान...)
हमें जानने वाले
कैसे हमें जानते हैं
हम ये नहीं जानते
तब वे क्या जानते हैं
शायद वे ही जानते हों