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अकुलाबोॅ नै बिहा के लेली / राहुल शिवाय

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सुनोॅ हो जवान अकुलाबोॅ नै बिहा के लेली,
दूर वाला ढोलकी तेॅ सबकेॅ सुहाबै छै।
पहलोॅ पति उ जे कि दिन भर काम करै,
खटी-खटी कनिया रोॅ सड़िया जुटाबै छै।
दोसरोॅ पति के सुनो पत्नी कमाय करै,
पति घर-द्वार रोजे झडुआ लगाबै छै।
तेसरोॅ पति जें मार खाय छै पत्नी के हाथो,
कालिदास-तुलसी रँ कवि जी कहाबै छै।