भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मंगल साज सजे / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:02, 20 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=हम तो गाकर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मंगल साज सजे
मंगल वीणा मंगल वादक मंगल राग बजे
मंगल भाव भरे अंतर हों
मंगल ध्वनि मंगल अक्षर हों
मंगलमयी वाणी के वर हों कवियों के सिरजे
जग के जन जन का मंगल हो
घर-घर में सुख शांति अमल हो
भू पर बंधु-भाव अविचल हो गगन लाख गरजे
मंगलमय जीवन प्रतिपल हो
उर में श्रद्धा का सम्बल हो
स्वर कितना भी क्षीण, विरल हो तुझको सदा भजे