भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तेरे पास पहुँचने की आशा में / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:42, 20 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कस्तूरी क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तेरे पास पहुँचने की आशा में
मैं निरंतर चलता जा रहा हूँ
पर तू केंद्र में खडा मुस्कुरा रहा है,
और मैं परिधि के चक्कर लगा रहा हूँ