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ये आँसू ही मेरा परिचय / राहुल शिवाय
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ये आँसू ही मेरा परिचय।
मेरे प्राण! अधूरे सपने!
अब तुम मेरे पास न आओ,
बार-बार मेरे जीवन में
नहीं आस के दीप जलाओ।
मैंने सीख लिया जीवन में
हँसी-खुशी का करना अभिनय।
चाहीं थी कुछ स्वर्णिम साँझें
मुझे मिले दुरूस्वप्न भयंकर,
जब सपनों से डरकर जगता
सत्य भयावह मिलता बाहर।
मैंने अपने ही हाथों से
सींचा मन में पौधा विषमय।
घायल करता पीड़ित स्वर-रव
पर पीर सहे चुपचाप कौन?
होने लगता अंतर व्याकुल
जगते सुधि-स्वर फिर तोड़ मौन?
ढलता नित दुख आँसू बनकर
भंडार मगर इसका अक्षय।