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बड्ड अभिशाप / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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दुलहा बाबू रूसल वैसल,
चाही हीरो होण्डा।
नैं खैता, नैं कुरूर करता,
नैं बनता मुँछ मुंडा।

घोॅरवाली केॅ बजा कहलथिन,
हमरा लोॅग जनि अययौ।
मोटर साइकिल नैं देथिन तेॅ,
अब नैं अयबन कहियो।

मेऽ, बाबू, भैया सँ कहियौन,
हम नैं लेबेन गौना।
पापा हम्मर किछु नैं करथिन,
हम जों धरबेन भौना।

कटल गाछ सन बाबू खसला,
मायक हाथ सँ उड़लेन तोता।
भैया निर्निमेष भॅगेलखिन,
लगलेन उजड़ैत अप्पन खोता।

उठल बयार भयंकर धेंरि में,
अब की करबै हाय रौ बाप?
आगाँ कुआँ, पाछाँ खाई,
बेटी भेनें बड्ड अभिशाप।

-19.11.1992