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मैं रोता हूँ रात-रात भर / राहुल शिवाय
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मैं रोता हूँ रात-रात भर l
इक जैसे लगते निशि औ दिन
क्षण-क्षण जाते मेरे गिन-गिन,
अधजागी-अधसोई आँखें
कल्पित हो जाती रह-रह कर l
मैं रोता हूँ रात-रात भर l
बार-बार आवाजें आती
लगता प्रिय ज्यों मुझे बुलाती,
इधर-उधर मैं तकता उसको
मध्य-निशा में सहसा उठकर l
मैं रोता हूँ रात-रात भर l
थकती जब मन की अकुलाहट
दब जाती सुधियों की आहट,
पीड़ा तब सोने लगती है
खुद अपने सर को सहला कर l
मैं रोता हूँ रात-रात भर l