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मेरा तो अपराध यही है / राहुल शिवाय
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मेरा तो अपराध यही है,
मैंने तुमसे प्यार किया है l
कौन मिटाएगा तुम बिन अब
इस जीवन की तिमिर निशा को,
कौन मिटा सकता है तुम बिन
प्रिय दर्शन की अमिट तृषा को।
दोष तुझे दूँ या जग को दूँ -
खुद जीवन निस्सार किया है l
भूलूँ कैसे वह आलिंगन
और साथ जो देखे सपने,
इस बेगानी दुनिया में बस
तुम मुझको लगते थे अपने ।
कली अधखिली रही प्रेम की -
खारों से अभिसार किया है l
मेरी बस इतनी अभिलाषा
हो मधुमास तुम्हारे आँगन,
अधर तुम्हारे हँसी बिखेरें
हास भरा हो तेरा जीवन।
मेरा क्या मैंने जो पाया -
उसको ही स्वीकार किया है l