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एकांत-संगीत (कविता) / हरिवंशराय बच्चन
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तट पर है तरुवर एकाकी
नौक है सागर में
अंतरिक्ष में खग एकाकी
तारा है अंबर में;
भू पर वन, वारिधि पर बेडे,
नभ में उडु-खग मेला,
नर-नारी से भरे जगत में
कवि क हृदय अकेला ।