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बेहोशी पछि त होशमा आउँदा क्या दामी भो / राजेन्द्र थापा

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बेहोशी पछि त होशमा आउँदा क्या दामी भो
यहाँ पिउने म, पिलाउनेको पो क्या बदनामी भो

बाहिर अमृत लेखे पनि भित्र भने बिषादी रैछ
माया अमृत पिएदेखि जिन्दगी क्या बिरामी भो

घात गर्छौ माफी दिन्छु फेरी गर्छौ बदमासी
सनासो झैँ मन कस्ने जवानी क्या बेमानी भो