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जीवन ! / विक्रम सुब्बा

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गरिखानको लागी
नभईनहुने जमीन हो जीवन !

जति कोट्याउँन सक्यो
उती गहिरो जीवन !

झन कोट्यायो
झन गहिरो
झन झन कोट्यायो
झन झन गहिरो जीवन !
मार्ने बेलामा
मृत्युले पनि सलाम ठोक्ने जीवन !!