भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नयाँ वर्ष / दुर्गालाल श्रेष्ठ

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:32, 28 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= दुर्गालाल श्रेष्ठ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सबतिर लहलह आश पलायो
छायो हर्ष नयाँ
तरुको हरियो पात सुसायो
आयो वर्ष नयाँ
यति वीभत्स कि यो ठाउँ जहाँ
हिजो चिहान थियो
हेर्दै, लाल गुराँस फुलेको
आज उझान भयो
तनमा, मनमा काउकुती झैं
लाग्यो वर्ष नयाँ
व्युँतिन लागे ढुङ्गा-मूढा
व्युँतिन लागे लास
मीठोमीठो आउन लाग्यो
मगमग मगमग बास
व्युँतेझैं हर जनमानसले
पायो स्पर्श नयाँ
आयो वर्ष नयाँ !