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सफल प्रहसन / दुर्गालाल श्रेष्ठ

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स्वागतनिम्ति उभेकाहरूको
फूल हातका वैलिसके ।

फूर्तिवाज आयोजकहरूको
मुखमण्डल पनि मैलिसके ।

दिन ढल्किसक्यो, कति फर्किसके
प्रमुख अतिथि आएन अझै

सभाभवन मूर्दाझैँ वाल्ल
नाटक सकियो कति सहजै ।