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पर्खाइ / सुमन पोखरेल
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मनभरि पीडा बोकी कति बसूँ रोएर
आँसु पनि सकिइसक्यो, यिनै चोट धोएर
खोजिरहन्छ तिमीलाई नै मन मेरो हरपल
निको पार्ने थियौ कि त मनको घाउ छोएर