Last modified on 2 जून 2017, at 12:27

नमेटिने प्यास भयो जिन्दगी / निमेष निखिल

Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:27, 2 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निमेष निखिल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


नमेटिने प्यास भयो जिन्दगी रहेन जिन्दगी
नदेखिने त्रास भयो जिन्दगी रहेन जिन्दगी
 
भासियो टेकेको माटो आफ्नै आँगन बिरानियो
वेदनाको आभास भयो जिन्दगी रहेन जिन्दगी
 
ओइलिए हाँगाका फूल सबै उराठउराठ भयो जगत्
सन्त्रासको बास भयो जिन्दगी रहेन जिन्दगी
 
खोसिए भागका खुसी सारा प्रणयको तार टुट्यो
'निमेष'मै उराठ भयो जिन्दगी रहेन जिन्दगी।