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दसैँ / निमेष निखिल

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मान्छेको रगत मान्छेलाई नसा भएर आएको छ
एकपछि अर्को पल यहाँ हादसा भएर आएको छ
खै कसरी थापूँ रगतले मुछिएका अक्षता निधारभरि
दसैं यसपालि पनि दसैं हैन दशा भएर आएको छ।