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सपना / निमेष निखिल
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उज्यालो घाम लाग्ला– जपना लिएर बाँचेका छौँ
उन्मुक्त हाँसेका बस्ती– कल्पना लिएर बाँचेका छौँ
मुस्कानहरूले बास मागून् मनुष्यका अधरसँग
आँखामा यस्तै ससाना सपना लिएर बाँचेका छौँ।