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खुली आंख रा सुपना / नरेन्द्र व्यास

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जाणू हूं
इकसार नी रैवै
बगतो बगत
फेर भी देखूं सुपना

विगत पीढयां रौ दरद,
आधी होंवती
केड़ री लाचारी
भोळी मुळक में
बुसबुसांवतां
खुली आंख रा सुपना !