Last modified on 9 जून 2017, at 18:19

विसवास : अेक / विरेन्द्र कुमार ढुंढाडा़

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:19, 9 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विरेन्द्र कुमार ढुंढाडा़ |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

विसवास धागो
काच्चै सूत रो
चालै इकसार
टूटै तो
टूटै काळी धार।

विसवास टोरै
हेत
प्रीत अर मोह
डाकै डूंगर
पूगै काळजां
अरथावै जूण।

विसवास रो धागो
जोड़ै मन सूं मन
बधै मन
छेकड़ टूटै
मन रै मतै
टूटै कद विसवास
मन ई टूटै
अेक दूजै रो।