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जीत-हार / राजेन्द्रसिंह चारण

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दिनभर दुनियां सूं
उठापटक करतो
लड़तो-भिड़तो
पार पड़तो
सिंज्या रा घर जा‘र
हार ज्यावै
बिचारौ आदमी।