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सतमासिया सपना / कृष्ण वृहस्पति

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बै सात महीना
जिण मांय तूं रैई
म्हारै तिसायैं होटां रै बिचाळै
अर
म्हूं रैंयो
तेरी औसरती
दीठ मांय लगोतार
भीजतो।

बै सात मईना
सात पाना है
म्हारी जिन्दगी री किताब रा
बाकी तो
कोरा है जाबक
म्हारै नसीब दाई।

बां सात महीना रै मांय
जी'ण रै बाद
म्हूं अब समइयो
क्यूं नी जीवै
घणकारी बार
सतमासिया।