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भादवै रो मेह / कृष्ण वृहस्पति

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मेह रै मांय भीज रं
भादवै रा दिन
फेरूं सुकड़ग्या,
ओजूं परसगी का'ती री रीतां
लाम्बी होय'र
धरत्यां।

अेकर फेरूं
स्याळै री बै ई
करड़ी रातां
अर बो ई सागी म्हूं
लारलै कई बरसां दाई
जाबक अेकलो।