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सीख / कृष्ण वृहस्पति

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थां सूं ई
सीख्यो है मौसम इतराणों
अर चांद नखरा।
सूरज भी थां सूं ईज
सीख्यों है तपणों
अर मेह
भांत-भांत सूं बरसणों।

ठाह नीं
तूं कीं सूं सीख्यो है
मांय-मांय घुटणों
अर बात-बिना बात
मुळकणों।