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फरक है याद रै मांय / कृष्ण वृहस्पति
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म्हूं तेरै पांती रै
मेह मांय भीजै हो
जणा
तू तपै ही
मेरै हिस्सै रै
तावड़ै मांय।
आज भी तूं
म्हारी याद रै
मरूथळ मांय
बळै है दिन-रात
अर
म्हे बैठयों हूं
तेरी याद री
ओढ़यां
बादळी।