भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आईना / अशोक शुभदर्शी

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:00, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक शुभदर्शी |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आईना छोटोॅ पड़ी गेलै
चेहरा के कालापन बड़ोॅ

आईना छै
आईना भर
चेहरा के कालापन
एक सच्चाई

आईना देखतें रही गेलै
कालापन केॅ
विवश होय केॅ