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बुझबै नै कहियो / अशोक शुभदर्शी
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जलै लेॅ देॅ हमरा
आबेॅ हम्में
बुझबै नै कहियो
कैन्हेॅ कि
छूबी लेलेॅ छै
हमरोॅ वाती केॅ छोर नें
तेलोॅ के
अथाह सागर केॅ।